Wednesday 9 May 2012




          "नाजाने"



दिन भर सोच तेरे बारे थक जाता हूँ मैं 
बेचैन दिल से सोने चला जाता हूँ मैं 
उसकी आँखें नाजाने क्या नशा कर गई है मुझपे 
वो नाजाने कौनसा प्यार का जाम पिला गई है मुझे 
की कम्भाक्त मेरे सपनो में भी चली आती है 
और रोज़ रात मेरी नींद उड़ा ले जाती है .  

- अवनीश गुप्ता 





No comments:

Post a Comment