Wednesday, 9 May 2012

     गुस्ताखी  माफ़


ऐसा क्या गुन्नाह कर दिया जाने अनजाने में हमने
की वो  नफरत ही करने लग गये हमसे
हमारे कहे को दिल पे ऐसा क्या ले लिया उन्होंने
की हमसे गुफ्तगू भी करना छोर दिया उन्होंने
हमने तो बस उनके साथ मज़ाक करना छह था
पर मजाक तो वो  हमारे साथ कर गये 
जिस जुर्म से बेखबर थे हम 
ऐसे जुर्म की सज़ा भुगतने  छोर दिया हमें
एक मौका मिल्ल्ले तो अपनी गुस्ताखी को भी सुधार दे 
बस वो  हमें  इस कदर नज़र अंदाज़ करना बंद तो करे.
-अवनीश गुप्ता


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