'ख़ामोशी'
ये
ख़ामोशी क्या है शायद कोई नहीं पहचानता
न
जाने इसके पीछे छुपे कितने राज़ है ये कोई नहीं जानता
ख़ामोशी
के पीछे झाको तोह इसकी भी एक वजह है
ये
तोजैसे एक पर्दा है
जो
दर्द का सागर समाये बैठी है
लेकिन
ख़ामोशी बोले तोह वो भी बोल जाती है
जो
बात कह के भी नहीं कही जाती है
इस
दुनिया की मोह माया में वोह सुकून नहीं
जो
कई बार खामोश रह कर ख़ामोशी दे जाती है
किसी
की ख़ामोशी कभी रिश्ते बनाती है
तो
कभी उन्ही रिश्तों में दरार डालती है
सच
को झूट दिखाती है
तो कभी झूट को सच बनाती है
किसी
का सहारा बन जाती है
तो कभी बेसहारा कर जाती है
किसी की ज़िन्दगी बचाती है
किसी की ज़िन्दगी बचाती है
तो कभी किसी को ख़तम कर जाती है
ऐसे
ऐसे खेल ख़ामोशी खेल जाती है
सच
में ख़ामोशी क्या है कोई नही जानता
सच
में ख़ामोशी क्या है कोई नहीं पहचानता
-
अवनीश गुप्ता
No comments:
Post a Comment