आज अपने आप को शब्दों के दरमियाँ बया करने का फिर
मन कर गया
नजाने क्यूँ आज फिरसे लिखने का जी कर
गया
ऐसा लग रहा है जैसे मेरे साथ
बहुत कुछ है घट गया
जो आज एक दम से फिर कलम
उठाने का मन कर गया
नजाने क्यूँ आज फिरसे लिखने का जी कर गया
पता नहीं क्यूँ मन में एक अलग सी चंचलता है
आज
पता नहीं क्यूँ दिल में एक अलग सी
हलचल है आज
कुछ है नहीं बताने को फिर भी आज क्यूँ
कुछ बताने को जी कर गया
नजाने क्यूँ आज फिरसे लिखने का जी कर गया
ऐसा लगा जैसे कुछ न घट के भी घट गया
इस अन्घठी घटना का मेरे पर ऐसा असर पढ़ गया
जो न होके भी मेरे दिल को लग गया
और चुपके से जाके मेरे मन में
बस गया
नजाने क्यूँ
आज फिरसे लिखने का जी कर गया
शायद ऐसे ही इस मन का आज मन कर गया
शायद ऐसे ही आज दिल कर गया
जो आज फिरसे लिखने का जी कर गया
जो आज फिरसे लिखने का जी कर गया